कोलकाताः महानगर के सरकारी अस्पतालों की एक और करतूत सामने आई है। एक या दो घंटे नहीं बल्कि 14 घंटे तक कोलकाता पुलिस एक मरीज को अस्पताल में भर्ती कराने के लिए इधर-उधर दौड़ती रही। फिर भी पुलिस मरीज को सरकारी अस्पताल में भर्ती नहीं करा सकी।

प्राप्त जानकारी के अनुसार शनिवार रात करीब डेढ़ बजे इकबालपुर थाने की पुलिस ने रास्ते से एक वृद्ध को बरामद किया था। उसकी तबीयत खराब थी। इसके बाद पुलिसकर्मी उक्त मरीज को एंबुलेंस में लेकर रविवार दोपहर तीन बजे तक महानगर के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में उसे भर्ती कराने की कोशिश करते रहें। किन्तु किसी भी अस्पताल में उक्त 65 साल के वृद्ध मरीज के लिए जगह नहीं मिली। इसके बाद वृद्ध की हालत अधिक खराब होने पर पुलिसकर्मियों ने उसे एक नर्सिंगहोम में भर्ती कराया।

अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि मरीज को भर्ती क्यों नहीं लिया गया? अगर पुलिस की बातों को भी नहीं माना जा रहा है तो ऐसे में आम लोगों के साथ क्या होगा?

पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बुखार से पीड़ित उक्त मरीज को सबसे पहले एमआर बांगुड़ अस्पताल ले जाया गया था। किन्तु यहां से पुलिस को कहा गया कि कोविड-19 अस्पताल होने के चलते मरीज को भर्ती नहीं ले सकते हैं। इसके बाद पुलिस मरीज को लेकर नेशनल मेडिकल काॅलेज व अस्पताल पहुंची। आरोप है कि यहां भी मरीज को भर्ती नहीं लिया गया।

एक पुलिसकर्मी ने बताया कि इसके बाद मरीज को एनआरएस, कलकत्ता मेडिकल काॅलेज व अस्पताल और आरजीकर मेडिकल काॅलेज व अस्पताल ले जाने पर भी मरीज को भर्ती नहीं लिया गया। अंत में मरीज को इकबालपुर के एक नर्सिंगहोम में भर्ती कराया गया।

गौरतलब हो कि गत मई महीने में ही इस प्रकार की एक और घटना सामने आई थी। पर्णश्री थाना क्षेत्र में रहने वाली एक महिला को पुलिस ने बरामद किया था। जिसके बाद बीमार उस महिला को लेकर पुलिस कई सरकारी अस्पतालों का चक्कर लगाती रही। किन्तु कहीं भी उसे भर्ती नहीं लेने का आरोप लगा था। अंत में एक सरकारी अस्पताल में उसकी मौत हो गई थी।