कोलकाता, 8 दिसम्बर। "संस्कृति एवं सभ्यता का संग्रहालय होता है पुस्तकालय। कुमारसभा ने अपने 100 वर्षों के इतिहास में इसको सत्य साबित किया है। आज हमारा समाज उत्तरोत्तर पाश्चात्य संस्कृति की गिरफ्त में आता जा रहा है, इससे मुक्त होने का एक मात्र उपाय है कि हम समाज को पुस्तक-मित्र के रूप में बदलने का बीड़ा उठायें। खास तौर पर नई पीढ़ी के युवक-युवतियों के भीतर पठन-पाठन का संस्कार जागृत करें।'-- ये उद्गार हैं पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल श्री केशरीनाथ त्रिपाठी के, जो स्थानीय रथीन्द्र मंच में श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय के शताब्दी समारोह में बतौर अध्यक्ष बोल रहे थे। श्री त्रिपाठी ने वर्तमान लेखन में व्याप्त अपसंस्कृति के उद्घाटन पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि लेखकों को ध्यान देना चाहिए कि उनकी रचनाओं से नई पीढ़ी में सांस्कृतिक-सामाजिक मूल्यों का प्रसार हो।
समारोह के प्रधान अतिथि पश्चिम बंगाल के महामहिम राज्यपाल श्री जगदीप धनखड़ ने कहा कि आज के शताब्दी उत्सव हम सबके मन में यह संकल्प जागृत करे कि इस महत्वपूर्ण संस्था का शीघ्र ही अपना भवन निर्मित हो। उन्होंने समाज के समर्थ जनों से आग्रह करते हुए अपना संपूर्ण सहयोग देने का आ·à¤¾à¤¾à¤¸à¤¨ दिया और कहा कि ऐसी त्वरित व्यवस्था की जाए कि भवन के शीघ्र ही लोकार्पण का निमंत्रण मैं स्वयं केशरीनाथ जी को प्रयागराज में देने जाऊँ। उन्होंने कुमारसभा के पदाधिकारियों एवं कार्यकत्र्ताओं को शताब्दी के अवसर पर बधाई दी एवं भावी शताब्दी को कीर्तिमान बनाने की शुभेच्छा अर्पित की।
प्रधान वक्ता राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के पूर्व अध्यक्ष प्रो. बल्देवभाई शर्मा ने कहा कि पुस्तकों के बिना साक्षर एवं सुसंस्कृत भारत का निर्माण संभव नहीं है। उन्होंने समाज में लुप्त होती पठन-पाठन संस्कृति पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि कुमारसभा पुस्तकालय नई पीढ़ी में पुस्तकों के पठन-पाठन में रूचि जागृत कर रहा है ताकि ज्ञान संपन्न भारत का निर्माण संभव हो। उन्होंने कहा कि किताब के बिना मनुष्यता नहीं बचेगी। साथ ही उन्होंने यह भी आह्वान किया कि हम अपने बच्चों को जन्मदिन पर पुस्तकें देने का अभियान चलायें।
विशिष्ट अतिथि प्रख्यात आयकर सलाहकार श्री सज्जन कुमार तुल्स्यान ने शताब्दी वर्ष के महत्वपूर्ण पड़ाव तक पहुँचाने वाले कार्यकत्र्ताओं की निष्ठा एवं लग्न की प्रशंसा करते हुए अपने सतत् सहयोग का आ·à¤¾à¤¾à¤¸à¤¨ दिया। उन्होंने श्री नेवटिया, आचार्य शास्त्री एवं जुगल किशोर जैथलिया के अवदान का स्मरण करते हुए कुमारसभा के साथ अपने जुड़ाव के प्रति गौरव बोध का उल्लेख किया।
समारोह के प्रारंभ में डॉ. ओम निश्चल द्वारा रचित "कुमारसभा शताब्दी' गीत की संगीतमय प्रस्तुति दी लोकप्रिय गायक श्री ओम प्रकाश मिश्र ने। पुस्तकालय के मंत्री महावीर बजाज ने इस अवसर पर प्रकाशित शताब्दी स्मारिका का राज्यपाल श्री धनखड़ एवं केशरीनाथ त्रिपाठी के हाथों प्रदान कर लोकार्पण कराया। श्री लक्ष्मीनारायण भाला ने राज्यपाल श्री धनखड़ एवं श्री केशरीनाथ त्रिपाठी को अपनी पुस्तक "हमारा संविधान : भाव एवं रेखांकन' भेंट की। पद्मश्री डॉ. कृष्णबिहारी मिश्र, गोविन्द नारायण काकड़ा, विमल लाठ, कृष्ण स्वरूप दीक्षित, नन्दकुमार लढ़ा, त्रिभुवन तिवारी, अनिल ओझा "नीरद', ओम प्रकाश मिश्र, डॉ, बसुमती डागा, सागरमल गुप्त, श्रीमति सुधा जैन, भागीरथ प्रसाद चांडक, राधेश्याम महावर, चम्पालाल पारीक, महेशचन्द चांडक, राजकुमार व्यास प्रभृति को शताब्दी अवसर पर राज्यपाल श्री धनखड़जी के हाथों सम्मानित किया गया।
अतिथिओं का स्वागत किया सर्वश्री अरुणप्रकाश मल्लावत, भंवरलाल मूंधड़ा, मोहनलाल पारीक, सज्जन बंसल, डॉ. ऋषिकेश राय, शांतिलाल जैन, डॉ. तारा दूगड़, डॉ. राजश्री शुक्ला, रामचन्द्र अग्रवाल ने। कार्यक्रम का कुशल संचालन किया श्रीमती दुर्गा व्यास ने, स्वागत भाषण दिया पुस्तकालय के अध्यक्ष डॉ. प्रेमशंकर त्रिपाठी ने एवं धन्यवाद ज्ञापन किया पुस्तकालय के साहित्यमंत्री श्री बंशीधर शर्मा ने। मंच पर राज्य की प्रथम महिला श्रीमती सुदेश धनखड़ की भी गरिमामयी उपस्थिति रही।
कार्यक्रम में डॉ. ओम निश्चल, मुनीन्द्र मिश्र, डॉ. राजीव रावत, केशवप्रसाद कायां, भरत जालान, अरुण चूडीवाल, राजेन्द्र खण्डेलवाल, प्रदीप सूंठवाल, डॉ. आनन्द पाण्डेय, पार्षद विजय ओझा, उमेश राय, शिबू दा, बिशन सिखवाल, राजेन्द्र कानूनगो, महावीर रावत, शार्दूल सिंह जैन, श्रीबल्लभ भूतड़ा, श्यामसुन्दर काबरा, शालिग्राम पुरोहित, पूर्णिमा कोठारी, राजेश अग्रवाल, प्रशांत भट्ट, शंकरलाल अग्रवाल, नरेश फतेहपुरिया, स्नेहलता बैद, मृदुला कोठारी, अनुराधा जालान, प्रभा जैन, डॉ. कमल कुमार, बिन्दे·à¤¾à¤°à¥€ प्रसाद सिंह आदि प्रमुख रूप से उपस्थित थे। इस मौके पर सभागार साहित्य-प्रेमियों से खचाखच भरा था। कार्यक्रम को सफल बनाने में सर्वश्री महावीर बजाज, योगेशराज उपाध्याय, मनोज काकड़ा, रामपुकार सिंह, भागीरथ सारस्वत, संजय रस्तोगी, चन्द्रकुमार जैन, गुड्डन सिंह, श्रीमोहन तिवारी, गजानंद राठी, गोविन्द जैथलिया, गिरिधर राय, सत्यप्रकाश राय, रमाकांत सिन्हा एवं अरुण सिंह आदि का प्रमुख योगदान रहा।