‘नानी बाई का मायरा’ à¤à¤•à¥à¤¤ नरसी की à¤à¤—वान कृषà¥à¤£ की à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ पर आधारित कथा है जिसमें ’मायरो’ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ ’à¤à¤¾à¤¤’ जोकि मामा या नाना दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ कनà¥à¤¯à¤¾ को उसकी शादी में दिया जाता है वह à¤à¤¾à¤¤ सà¥à¤µà¤¯à¤‚ शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ लाते हैं, नानी बाई नरसी जी की पà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ थी और सà¥à¤²à¥‹à¤šà¤¨à¤¾ बाई नानी बाई की पà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ थी, सà¥à¤²à¥‹à¤šà¤¨à¤¾ बाई का विवाह जब तय हà¥à¤† था तब नानी बाई के ससà¥à¤°à¤¾à¤² वालों ने यह सोचा कि नरसी à¤à¤• गरीब वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ है तो वह शादी के लिये à¤à¤¾à¤¤ नहीं à¤à¤° पायेगा, उनको लगा कि अगर वह साधà¥à¤“ं की टोली को लेकर पहà¥à¤à¤šà¥‡ तो उनकी बहà¥à¤¤ बदनामी हो जायेगी इसलिये उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने à¤à¤• बहà¥à¤¤ लमà¥à¤¬à¥€ सूची à¤à¤¾à¤¤ के सामान की बनाई उस सूची में करोड़ों का सामान लिख दिया गया जिससे कि नरसी उस सूची को देखकर खà¥à¤¦ ही न आये। नरसी जी को निमंतà¥à¤°à¤£ à¤à¥‡à¤œà¤¾ गया साथ ही मायरा à¤à¤°à¤¨à¥‡ की सूची à¤à¥€ à¤à¥‡à¤œà¥€ गई परनà¥à¤¤à¥ नरसी के पास केवल à¤à¤• चीज़ थी वह थी शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ की à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿, इसलिये वे उनपर à¤à¤°à¥‹à¤¸à¤¾ करते हà¥à¤ अपने संतों की टोली के साथ सà¥à¤²à¥‹à¤šà¤¨à¤¾ बाई को आरà¥à¤¶à¤¿à¤µà¤¾à¤¦ देने के लिये अंजार नगर पहà¥à¤à¤š गये, उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ आता देख नानी बाई के ससà¥à¤°à¤¾à¤² वाले à¤à¥œà¤• गये और उनका अपमान करने लगे, अपने इस अपमान से नरसी जी वà¥à¤¯à¤¥à¤¿à¤¤ हो गये और रोते हà¥à¤ शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ को याद करने लगे, नानी बाई à¤à¥€ अपने पिता के इस अपमान को बरà¥à¤¦à¤¾à¤¶à¥à¤¤ नहीं कर पाई और आतà¥à¤®à¤¹à¤¤à¥à¤¯à¤¾ करने दौड़ पड़ी परनà¥à¤¤à¥ शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ ने नानी बाई को रोक दिया और उसे यह कहा कि कल वह सà¥à¤µà¤¯à¤‚ नरसी के साथ मायरा à¤à¤°à¤¨à¥‡ के लिये आयेंगे।दूसरे दिन नानी बाई बड़ी ही उतà¥à¤¸à¥à¤•à¤¤à¤¾ के साथ शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ और नरसी जी का इंतज़ार करने लगी और तà¤à¥€ सामने देखती है कि नरसी जी संतों की टोली और कृषà¥à¤£ जी के साथ चले आ रहे हैं और उनके पीछे ऊà¤à¤Ÿà¥‹à¤‚ और घोड़ों की लमà¥à¤¬à¥€ कतार आ रही है जिनमें सामान लदा हà¥à¤† है, दूर तक बैलगाड़ियाठही बैलगाड़ियाठनज़र आ रही थी, à¤à¤¸à¤¾ मायरा न अà¤à¥€ तक किसी ने देखा था न ही देखेगा, यह सब देखकर ससà¥à¤°à¤¾à¤² वाले अपने किये पर पछताने लगे, उनके लोठको à¤à¤°à¤¨à¥‡ के लिये दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¿à¤•à¤¾à¤§à¥€à¤¶ ने बारह घणà¥à¤Ÿà¥‡ तक सà¥à¤µà¤°à¥à¤£ मà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤“ं की वरà¥à¤·à¤¾ की, नानी बाई के ससà¥à¤°à¤¾à¤² वाले उस सेठको देखते ही रहे और सोचने लगे कि कौन है ये सेठऔर ये कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नरसी जी की मदद कर रहा है, जब उनसे रहा न गया तो उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पूछा कि कृपा करके अपना परिचय दीजिये और आप कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नरसी जी की सहायता कर रहे हैं।​सेठजी का उतà¥à¤¤à¤° था ’मैं नरसी जी का सेवक हूठइनका अधिकार चलता है मà¥à¤à¤ªà¤° जब कà¤à¥€ à¤à¥€ ये मà¥à¤à¥‡ पà¥à¤•à¤¾à¤°à¤¤à¥‡ हैं मैं दौड़ा चला आता हूठइनके पास, जो ये चाहते हैं मैं वही करता हूठइनके कहे कारà¥à¤¯ को पूरà¥à¤£ करना ही मेरा करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ है। ये उतà¥à¤¤à¤° सà¥à¤¨à¤•à¤° सà¤à¥€ हैरान रह गये और किसी के समठमें कà¥à¤› नहीं आ रहा था बस नानी बाई ही समà¤à¤¤à¥€ थी कि उसके पिता की à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ के कारण ही शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ उससे बंध गये हैं और उनका दà¥à¤– अब देख नहीं पा रहे हैं इसलिये मायरा à¤à¤°à¤¨à¥‡ के लिये सà¥à¤µà¤¯à¤‚ ही आ गये हैं, इससे यही साबित होता है कि à¤à¤—वान केवल अपने à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ के वश में होते हैं।